मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू: बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद क्या हुआ?

मणिपुर की राजनीतिक उठापटक के बीच केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लगाने का ऐलान किया है। यह फैसला मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के इस्तीफे के कुछ दिन बाद आया है, जब राज्य में सरकार बनाने की कोई स्पष्ट संभावना नजर नहीं आई। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू यह शासन राज्य में सीधे केंद्र का नियंत्रण स्थापित करता है। आइए जानते हैं, क्यों लगा राष्ट्रपति शासन, इसकी प्रक्रिया और प्रभाव।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पृष्ठभूमि

  • बिरेन सिंह का इस्तीफा: 5 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बहुमत खोने के बाद इस्तीफा दिया।

  • राज्यपाल की रिपोर्ट: राज्यपाल ने केंद्र को सरकार गठन में असमर्थता और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों की सूचना दी।

  • राजनीतिक गतिरोध: किसी भी दल के पास बहुमत न होने के कारण नई सरकार बनाने की प्रक्रिया अटक गई।

 मणिपुर विधानसभा भवन 



राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए निम्नलिखित चरण पूरे किए जाते हैं:

  • राज्यपाल की सिफारिश: राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल होने की रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाती है।

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद इसकी सिफारिश राष्ट्रपति को करते हैं।

  • राष्ट्रपति की घोषणा: राष्ट्रपति आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन जारी करते हैं।

  • संसदीय अनुमोदन: 6 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से मंजूरी जरूरी होती है।

यूट्यूब लिंकराष्ट्रपति शासन कैसे लगता है?



राष्ट्रपति शासन के प्रमुख प्रभाव

  • राज्य सरकार भंग: मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद का पद समाप्त।

  • केंद्र का नियंत्रण: राज्य का प्रशासन राज्यपाल और केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में चलेगा।

  • विधानसभा निलंबित/भंग: 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन लागू रह सकता है; इसके बाद चुनाव हो सकते हैं।


महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और कानूनी पहलू

  • अनुच्छेद 356: संविधान का वह प्रावधान जो केंद्र को राज्य में शासन लागू करने का अधिकार देता है।

  • राज्यपाल की रिपोर्ट: यह दस्तावेज़ राष्ट्रपति शासन की आधारभूत शर्त है।

  • सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश (एस.आर. बोम्मई केस): कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति शासन "अंतिम उपाय" होना चाहिए।




राष्ट्रपति शासन की शर्तें 

  • संवैधानिक विफलता: राज्य में सरकार चलाने या कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असमर्थता।

  • राज्यपाल की सिफारिश: बिना राज्यपाल की रिपोर्ट के राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता।

  • संसद की मंजूरी: 6 महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदन अनिवार्य।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

  • विपक्ष का आरोप: केंद्र सरकार पर "लोकतंत्र की हत्या" का आरोप।

  • भाजपा का बचाव: "राज्य में स्थिरता बहाल करने के लिए यह जरूरी कदम।"

  • मणिपुर के नागरिक: आम जनता को उम्मीद है कि जल्द चुनाव होंगे।


अक्सर पूछे गए सवाल

Q1. राष्ट्रपति शासन कितने दिनों तक लागू रह सकता है?
अधिकतम 3 साल, लेकिन हर 6 महीने बाद संसद की मंजूरी जरूरी।

Q2. क्या इस दौरान चुनाव हो सकते हैं?
हाँ, चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव कराए जा सकते हैं।

Q3. मणिपुर में पहले कब लगा था राष्ट्रपति शासन?
1993 में पहली बार लागू हुआ था।




मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का फैसला राज्य की जटिल राजनीतिक परिस्थितियों की देन है। हालाँकि, यह एक अस्थायी समाधान है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही चुनाव कराकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पुनर्जीवित की जाएगी। इस बीच, केंद्र सरकार का फोकस राज्य में शांति और विकास कायम रखने पर होना चाहिए।


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