Supreme Court: बेरियम के पटाखों पर पूरे देश में प्रतिबंध, कोर्ट ने कहा- प्रदूषण का प्रबंधन हर किसी का दायित्व’

Supreme Court: बेरियम के पटाखों पर पूरे देश में प्रतिबंध, कोर्ट ने कहा- प्रदूषण का प्रबंधन हर किसी का दायित्व’


नई दिल्ली, 8 नवंबर 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध का आदेश सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर राज्य के लिए बाध्यकारी है। शीर्ष अदालत के इस स्पष्टीकरण का असर पूरे देश पर होगा जिसने वायु एवं ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए 2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम युक्त पटाखों पर पूरे देश में प्रतिबंध लगा दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रतिबंध केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, बल्कि हर राज्य के लिए बाध्यकारी है। शीर्ष अदालत ने यह स्पष्टीकरण मंगलवार को दिया।

कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण का प्रबंधन हर किसी का दायित्व है। पटाखों के निर्माण और उपयोग से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए, बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें पटाखों के निर्माण और बिक्री पर कड़ी निगरानी रखें। अगर कोई व्यक्ति या कंपनी प्रतिबंध का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

इस फैसले का स्वागत किया गया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि यह फैसला वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।

बेरियम युक्त पटाखों से होने वाले नुकसान

बेरियम युक्त पटाखों से वायु प्रदूषण होता है। इन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का उपयोग होता है, जो एक जहरीला रसायन है। जब ये पटाखे फूटते हैं, तो बेरियम नाइट्रेट हवा में फैल जाता है। यह हवा में मौजूद अन्य प्रदूषकों के साथ मिलकर लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

बेरियम युक्त पटाखों से ध्वनि प्रदूषण भी होता है। जब ये पटाखे फूटते हैं, तो तेज आवाज होती है। यह आवाज लोगों के श्रवण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

प्रदूषण से बचने के लिए सुझावपटाखों का उपयोग कम करें।
केवल ग्रीन पटाखों का उपयोग करें।
पटाखों को सुरक्षित स्थान पर फूटाएं।
पटाखों के धुएं से बचें।

प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में हमारा योगदानहम सभी को प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान देना चाहिए।

  • हम पटाखों का उपयोग कम करके वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
  • हम ग्रीन पटाखों का उपयोग करके प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
  • हम पटाखों को सुरक्षित स्थान पर फूटाकर प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
  • हम पटाखों के धुएं से बचकर प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

कोर्ट ने यह स्पष्टीकरण पर्यावरणविदों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में कहा गया था कि बेरियम युक्त पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

कोर्ट ने कहा कि बेरियम युक्त पटाखों से वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का उपयोग होता है, जो एक जहरीला रसायन है। जब ये पटाखे फूटते हैं, तो बेरियम नाइट्रेट हवा में फैल जाता है। यह हवा में मौजूद अन्य प्रदूषकों के साथ मिलकर लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि बेरियम युक्त पटाखों से ध्वनि प्रदूषण भी होता है क्योंकि जब ये पटाखे फूटते हैं, तो तेज आवाज होती है। यह आवाज लोगों के श्रवण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

कोर्ट ने राज्य सरकारों को पटाखों के निर्माण और बिक्री पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है। अगर कोई व्यक्ति या कंपनी प्रतिबंध का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

पराली जलने से वायु प्रदूषण बढ़ने पर मौसम विभाग को जवाब दाखिल करने का निर्देश

कोर्ट ने पराली जलने से वायु प्रदूषण बढ़ने के मामले में भी सुनवाई की। अदालत को जब बताया गया कि दिल्ली से लगे राज्यों में पराली जलने से राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है तो कोर्ट ने मौसम विभाग को पराली जलने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि मौसम विभाग को यह बताना होगा कि पराली जलने से प्रदूषण का स्तर कैसे बढ़ता है। इसके लिए मौसम विभाग को पराली जलने के समय और स्थान के आंकड़ों का विश्लेषण करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मौसम विभाग को पराली जलने से होने वाले प्रदूषण के प्रभाव का आकलन करना होगा।

कोर्ट ने कहा कि सामान्य जन को पराली जलने के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना भी जरूरी है। इसके लिए सरकार को जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। कोर्ट ने सरकार को इस मामले में एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

पर्यावरणविदों का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पर्यावरणविदों ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।